Anupam Mahor
Thursday, 16 March 2017
ना वक्त इतना हैं कि सिलेबस पूरा किया जाए;
ना तरकीब कोई की एग्जाम पास किया जाए;
ना जाने कौन सा दर्द दिया है इस पढ़ाई ने;
ना रोया जाय और ना सोया जाए।
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